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कोहिनूर की कहानी

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कोहिनूर की कहानी.... ✍ जावेद शाह खजराना हैदराबाद के गोलकुंडा की खदान से निकला कोहिनूर परमारों के पास धार पहुंचा। युद्ध का आभास होते ही धार महाराज अपने खजाने के साथ मांडव के सोनगढ़ की तरफ निकल पड़ते।   सन 1306 में अलाउद्दीन खिलजी ने मांडव पर हमला किया तब ये अमूल्य हीरा उसके हाथ लगा। सबसे पहला मुस्लिम कोहिनूर धारक अलाउद्दीन खिलजी है। उसके बाद तुग़लक़ फिर लोधी मालिक बने। जावेद शाह खजराना लोधी से आगरा में कोहिनूर हुमायूँ को मिला। बाद में पीढ़ी दर पीढ़ी मोहम्मद शाह रंगीला के पास पहुंचा। मोहम्मद शाह रंगीला से ईरान के लुटेरे बादशाह नादिर शाह ने हड़प लिया । नादिर शाह और अहमद शाह अब्दाली ने मिलकर लालकिला लुटा... कोहिनूर हिंदुस्तान से ईरान पहुँचा। नादिरशाह के मरने के बाद अब्दाली कोहिनूर का स्वामि बना । एहमद शाह अब्दाली अब अफगानिस्तान का बादशाह बना । अब्दाली का बेटा तैमूर शाह कोहिनूर को ताउम्र पहना रहा  । उसके मरने के बाद उसका बेटा जमान शाह ने  कोहिनूर धारण किया लेकिन इसके लिए कोहिनूर अशुभ साबित हुआ । जमान शाह के बेटे महमूद शाह ने अपने भाई जमान शाह को अंधा करके कोहिनूर ...